| 1. | (२) पैत्तिक शूल-पैत्तिक शूल नाभि प्रदेश में उठता है.
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| 2. | कृमिदोष में कोष्ठबद्धताहोने पर नाभि प्रदेश में शूल उठता है.
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| 3. | पूर े शरीर का बोझ नाभि प्रदेश के ऊपर ही रहे।
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| 4. | लाभ: नाभि प्रदेश और मेरुदंड को शक्ति प्रदान करता है।
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| 5. | विविध कारणों से पित्तप्रकुपित होकर नाभि प्रदेश में शूल उत्पन्न करता है.
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| 6. | इसके लाभ: नाभि प्रदेश और मेरुदंड को शक्ति प्रदान करता है।
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| 7. | यह चक्र का स्थान नाभि प्रदेश है इस लिए इस चक्र को नाभि चक्र
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| 8. | पेट और नाभि प्रदेश के बारे में सोचते सोचते एक कीड़ा बन जाता हूँ।
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| 9. | नाभि प्रदेश के नीचे और पृष्ठ प्रदेश में वह काले रंग जैसा रहता था।
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| 10. | उसके अश्लील पेट और नाभि प्रदेश के बारे में सोचते सोचते एक कीड़ा बन जाता हूँ।
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